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गजरे वाली / लालित्य ललित


जी हजू़री !
माई-बाप
आप की दुआ है
भगवान आपको बनाए रखे
हज़ूर को, ऊपर वाला और दे
इस तरह के निवेदन
हवा में तैरते हर दिशा में
मिलेंगे
हम सुनते भी हैं और
अनसुना भी करते हैं
चौराहे पर बिकते हैं
गजरे, पत्रिकाएं, शाम के पेपर
चार्ज़र, हैंडिल लॉक, पानी की
बोतलें
शनि महाराज से ले कर
गोद में उठाए
नवजात शिशुओं को
ले कर कम उम्र की -
राजस्थानी माएं
ये दृश्य हर रोज़ के हैं
जो आप से आपका
ध्यान चाहती हैं
मगर आम आदमी की सोच
ज़रा अलग हट कर है
वह देखता है बीड़ी सुलगाता है
‘ग्रीन लाइट’ पर चल देता है
ऐ बाबू जी ! सुनो तो !
मेम साहब के लिए
गजरा ले जाओ
खुश हो जाएगी
अविवाहित ड्राइवर
लंबी सांस भरता हुआ
मुस्काराता चल पड़ता है
सोचता है
वो भी
एक दिन
इसी चौराहे से
गजरा लेगा
गाड़ी ने ऱफ्तार पकड़ ली
थी ।