Last modified on 13 जुलाई 2014, at 14:25

गढ़ छोड़ रुकमण बाहर आई / हरियाणवी

गढ़ छोड़ रुकमण बाहर आई
चौरी तो छाई म्हारे साजना
क्यूंकर आऊं म्हारे राज बन्दड़े
आगै मेरा लाखी दादा आ डट्या
तेरे दादा कै मेरी दादी बिवादूं
चौरी नै राखां जगमगी
क्यूंकर आऊ मेरे राजा बन्दड़े
आगै मेरा लाखी ताऊ आ डट्या
तेरे ताऊ कै मेरी ताई बिवादूं
चौरी ने राखां जगमगी