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गनीमत है / रमेश तैलंग

गनीमत है
हमारे घरों तक
धुआं पहुंचा है,
आग नहीं।

गनीमत है
हमें खबरे आतंकित कर रही हैं
युद्ध नहीं।

गनीमत है
अभी करुणा
बची हुई है
हमारे मनों में।

गनीमत है
हमें वक्त दिया जा रहा है
सोचने का।

गनीमत है
हम कल के बारे में
कुछ नहीं जानते।