अगर मैं लीपूँ
तुमको अम्मा
ज्यों लीपती
तुम आँगन को ?
तो मैं भी
आँगन के जैसी
सुथरी बनकर
चमक उठूँगी ।
तब तो तुम को
हौले-हौले
सम्भल-सम्भल कर
छूना होगा
है न अम्मा ?
हाँ, चाहते
रहूँ साफ़ मैं
ध्यान तो तुमको
रखना होगा
जैसे रखते
आँगन का हम
है न मुन्ना ?