Last modified on 24 अप्रैल 2017, at 11:42

गम्भर (तीन) / कुमार कृष्ण

हर शहर के पास नहीं होती
उसकी अपनी नदी
वहाँ रहने वाले लोग नहीं जानते
किस भाषा में बोलती है नदी
गाती है कौन से राग में जिन्दगी का गीत
उसे देखने-सुनने
छूने की इच्छा में
गुज़ार देते हैं वे पूरी उम्र
इस दुनिया को छोड़ते समय
करते हैं मन ही मन प्रार्थना-
यदि हो फिर से एक और जन्म
तो वह हो किसी गम्भर के किनारे
किसी सूखे शहर
सुखी नदी के पास
नहीं पैदा करना मुझे
नहीं जन्म देना किसी ऐसी जगह
जहाँ कन्धों पर
नदी की पालकी उठाने में
बीत जाए पूरा दिन
जहाँ चालीस नील गायें
मर जाएँ एक साथ तड़प-तड़प कर
किसी गम्भर की तलाश में।