गरीबी
बाज़ार में मुंह बांध कर जाती हुई मिलती है
ख़ाली जेब मिलती है मेले में
गुब्बारे के साथ
फूलती और फूटती है
समय के झूलों में
गरीबी - पेंडुलम सी झूलती है !
गरीबी
बाज़ार में मुंह बांध कर जाती हुई मिलती है
ख़ाली जेब मिलती है मेले में
गुब्बारे के साथ
फूलती और फूटती है
समय के झूलों में
गरीबी - पेंडुलम सी झूलती है !