मर गईं गर्म हवाएँ
धूल धक्कड़ उड़ाकर
घर और घोंसले फूँककर
और अब
सर्द हवाएँ
बर्फ मारकर
जला दिल ठंढ़ा कर रही हैं
रचनाकाल: २५-१२-१९७०
मर गईं गर्म हवाएँ
धूल धक्कड़ उड़ाकर
घर और घोंसले फूँककर
और अब
सर्द हवाएँ
बर्फ मारकर
जला दिल ठंढ़ा कर रही हैं
रचनाकाल: २५-१२-१९७०