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गर्वोक्ति / ललन चतुर्वेदी

न ऊधो का लिया
न माधो का दिया
न किसी का भला
न बुरा ही किया
चलती रही
साँस जब तक
जिया
इसी तरह
देव-दुर्लभ मनुष्य पर
उसने विभूषित किया।