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गळगचिया (15) / कन्हैया लाल सेठिया

कोरी मटकी में भरयोड़ो पाणी टोपो टोपो कर र पाछो झरग्यो। कनैं ही पड़यो फूटयोडो घड़ो चिड़ र बोल्यो -हिया र दिया फूटयोड़ा मिनख ई सापतै में र म्हारै में काँई फरक रयो ? आँख्याँ दीखतो ही पाप हुवै जणाँ स बात न्यारी है।