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गळगचिया (18) / कन्हैया लाल सेठिया

पून कयो-हिरणाँ म्हारै स्यूं होड मती करो ! हिरण बोल्या-बावळी तनै होड सूझै है, म्है तो गंडकाँ स्यूं डरता घर ल्याँ हाँ ।