Last modified on 17 मार्च 2017, at 14:25

गळगचिया (33) / कन्हैया लाल सेठिया

आसोज रो महीनूं। नान्ही सी क बादळी ओसरगी। एवड़ रै गुवाळियै रो अलगोजो गूंज उठयों-रिम झिम रिम झिम मेवलो बरसै अतै में ही अचाणचूको पून रो लैरो आयो रे बादळी उड़गी। करड़ी तावड़ी निकलगी। खेत में निनाण करतो करसो बोल्यो-आसोजाँ रा तप्या तावड़ा काचा लोहा..........।
मिनख री जीभ में कठेई हाड कोनी।