Last modified on 17 मार्च 2017, at 16:31

गळगचिया (64) / कन्हैया लाल सेठिया

आभै रै अगूणैं पळसै स्यूँ सूरज आयो‘र आथूंणै पळसै स्यूँ बारै निकळग्यो, बडा आदम्याँ रो आणूँ ही दिन है‘र जाणूँ ही रात है।