गवाँ सब,
बेमुरौवत धूर्त दुनिया में
- अकेले रह गये,
- अकेले रह गये,
सचाई महज़ कहना चाहते थे
और ही कुछ कह गये,
जिसे समझा किये अपना
उसी ने मर्मघाती चोट की,
उसी की बेवफ़ाई हम
अरे, खामोश कैसे सह गये!
गवाँ सब,
बेमुरौवत धूर्त दुनिया में
सचाई महज़ कहना चाहते थे
और ही कुछ कह गये,
जिसे समझा किये अपना
उसी ने मर्मघाती चोट की,
उसी की बेवफ़ाई हम
अरे, खामोश कैसे सह गये!