अँधेरे को चीरती हुई
एक तीखी आवाज़
पहुँचती है मुझ तक
वो इस क्षण है
अगले, नहीं।
ये जान मन में एक
अजीब कुलबुलाहट होती है
मानो अलौकिक किसी संसार से
कोई गहन कुछ बोल रहा है
जो इस पल है
और अब ... नहीं।
अँधेरे को चीरती हुई
एक तीखी आवाज़
पहुँचती है मुझ तक
वो इस क्षण है
अगले, नहीं।
ये जान मन में एक
अजीब कुलबुलाहट होती है
मानो अलौकिक किसी संसार से
कोई गहन कुछ बोल रहा है
जो इस पल है
और अब ... नहीं।