ग़नीमत है
आँखों पर
चश्मा है
चश्मा उतरा
मंज़र बदला
महानगर दिल्ली
मौत की घाटी में
और आदमी
जानवर में तब्दील
राजा शेर भी,
मंत्री गीदड़ भी
चाटुकार कुत्ते भी
कन्धों पर जुआ
हाँफती साँस
लड़खड़ाते क़दम
कोल्हू में जुता
मेहनतकश बैल भी