ग़रीबे शहर
रचनाकार | राही मासूम रज़ा |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 2001 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | कविता, ग़ज़ल |
पृष्ठ | 108 |
ISBN | 81-7055-771-2 |
विविध | राही मासूम रज़ा का यह काव्य संग्रह कुंवर पाल सिंह जी ने संपादित किया है और इस का लिप्यंतरण एवम् अनुवाद प्रदीप साहिल जी ने किया है |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- मर्सिया / राही मासूम रज़ा
- हम तो हैं कंगाल / राही मासूम रज़ा
- एक नज़्म / राही मासूम रज़ा
- गिरेबान का फ़ासला / राही मासूम रज़ा
- ख़्वाब / राही मासूम रज़ा
- अब के तो इक शमशान पड़ा था मेरे घर के आगे / राही मासूम रज़ा
- सुबह के इंतिज़ार की एक नज़्म / राही मासूम रज़ा
- नींद के गाँव में / राही मासूम रज़ा
- हिज़्र की काली मिट्टी तोड़ें, चाँद सितारें बोएँ / राही मासूम रज़ा
- इश्क़ का अपने इज़हार तो कीजिए / राही मासूम रज़ा
- बावन साल पुरानी आँखें / राही मासूम रज़ा
- हर गली हिज़्र की इक गली, बंबई शहर में / राही मासूम रज़ा