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गाँति / दीप नारायण

कय ठामसँ चहकल
एगोट नुआकेँ
बीचो-बीच दु टुकड़ी क' फाड़ि

बान्हि देने रहथिन माय
दुनू भाइकेँ गाँती

तकरा बाद,
लाल भेल रहैक
बड़की काकीक आँखि
आ मायक

तहियेसँ हमरा
पसिन नहि अछि जाड़ मास।