गए सपने शहर होने
गाँव खो आए
बाँधकर जो ले गए थे
गाँठ में पहचान
हो गई वह स्वयं से ही
इस कदर अनजान
गए थे वे सूर्य लेने
छाँव खो आए
साथ लेकर वे गए थे
एक नीली साँस
और लौटे साथ लेकर
एक धुँधली फाँस
दिये की लौ -
रोशनी का ठाँव खो आए
जल बहुत गहरे
तटों से दूर
सभ्य हैं यों
छलों से भरपूर
वे गए थे द्वीप लेने
नाव खो आए