गांव में अकाल है
और
मंगतू की गाय
शहर की गौशाला में
चरती है अनुदान का चारा
जिसके बदले
देती है दूध
बटोरती है गौशाला के लिए
धन बहुत सारा ।
उधर गांव में
मंगतू का बेटा
धीरे-धीरे
दूध के मायने
भूलता जा रहा है ।
गांव में अकाल है
और
मंगतू की गाय
शहर की गौशाला में
चरती है अनुदान का चारा
जिसके बदले
देती है दूध
बटोरती है गौशाला के लिए
धन बहुत सारा ।
उधर गांव में
मंगतू का बेटा
धीरे-धीरे
दूध के मायने
भूलता जा रहा है ।