उतरल बासन्ती दिन कुहकय कोयलिया,
मुस्कइ वसुधा अंगे-अंग, भाय रे।।
गछिया- बिरिछया सबले हइ अंगड़ाई,
फागुन- पहुनवाँ के सगरो पहुनाई।
बगिया-फुलबगिया में कुरचय बुतरुअन,
छोटकन-बड़कन संगे-संग, भाय रे।।
बून-बून रस ढारय तड़वन-खजूरबन,
बइरिया के बाजू में बमकल बबूरबन।
मसूरी-मटर बूंट-तीसी के साथ सोभय,
सरसों के पियर-पियर रंग, भाय रे।।
फूलन पर मड़रावय तित्तलियन रानी।
राह-बाट में टेरय गदरल जुआनी।
धरती दुलहिनिया के रूप रिझावय मनवाँ,
जियरा में लहराय तरंग, भाय रे।।