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गाँव में बसंत / मुनेश्वर ‘शमन’

उतरल बासन्ती दिन कुहकय कोयलिया,
मुस्कइ वसुधा अंगे-अंग, भाय रे।।

गछिया- बिरिछया सबले हइ अंगड़ाई,
फागुन- पहुनवाँ के सगरो पहुनाई।
बगिया-फुलबगिया में कुरचय बुतरुअन,
छोटकन-बड़कन संगे-संग, भाय रे।।

बून-बून रस ढारय तड़वन-खजूरबन,
बइरिया के बाजू में बमकल बबूरबन।
मसूरी-मटर बूंट-तीसी के साथ सोभय,
सरसों के पियर-पियर रंग, भाय रे।।

फूलन पर मड़रावय तित्तलियन रानी।
राह-बाट में टेरय गदरल जुआनी।
धरती दुलहिनिया के रूप रिझावय मनवाँ,
जियरा में लहराय तरंग, भाय रे।।