हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गांधी था सत का मतवाला।
सत का था उस नै परण पाला।।
सचाई हाथ तै दी ना जाणे।
चाहे प्राण पड़े थे गवांणे।।
सत के बल पै अमरता पाई।
सांच नै आंच ना लागण पाई।।
गांधी था सत का मतवाला।
सत का था उस नै परण पाला।।
सचाई हाथ तै दी ना जाणे।
चाहे प्राण पड़े थे गवांणे।।
सत के बल पै अमरता पाई।
सांच नै आंच ना लागण पाई।।