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गाछी रोॅ महिमा / प्रदीप प्रभात

गाछ लगाबोॅ, स्वर्ग बनाबोॅ।
धरती रोॅ सौंन्दर्य बढ़ाबोॅ॥
गाछी करतौं हवा स्वच्छ।
लम्बा आयु जीवन स्वस्थ्य॥
गाछी सेॅ होतौं मांटी उपजाऊ।
गाछी सेॅ ही होय छै बरसा-बृष्टि॥
गाछी पर ही छौं जीवन अवलम्बित।
गाछी ही दै छै हवा स्वच्छ॥
मांटी रोॅ सुरक्षा छै हेकरै पर निर्भर॥
गाछी बीना जीवन दू भर॥
गाछ, फूल, फोॅल, नद्दी आरो झरना।
यै सृष्टि के यहेॅ छै गहना॥
आबोॅ भैया गाछ लगावोॅ।
यै धरती पर स्वर्ग उतारोॅ॥
गाछ लगावोॅ स्वर्ग बसाबोॅ।
ई धरती रोॅ सौंन्दर्य बढ़ाबोॅ॥