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गामक लोक / बुद्धिनाथ मिश्र

बैरङ चिट्ठी जकाँ फिरैए
गामक लोक ।
कस्तूरी मृग जकाँ मरैए
गामक लोक ।

महानगर अपराध करय
बुधियार बनल
आ जरिमाना तकर
भरैए गामक लोक ।

दऽ सर्वस्व जियाबैए
न्यायालय कें
कोना न कहबै
भने लड़ैए गामक लोक ।

सभ इजोत भऽ गेल निपत्ता
साँझहि में
माटिक डिबिया जकाँ
बरैए गामक लोक ।

घरक लाज नाङट भऽ
विज्ञापन बनि गेल
टूटल धनुखा तर
नमरैए गामक लोक ।

मंदिर केर देवांश
पुजारी लूटि रहल
धूजा बनि-बनि कें
फहरैए गामक लोक ।