आज कल गायत्री जाप
सब्भै करेॅ लाग लै।
जबेॅ कि गायत्री
ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र द्वारा
शापित छै
बिना शाप-मोचन के
उद्वार केना केॅ होतैं।
बिना पुरश्चरण के
तेॅ आश्चर्य लागै छै
सीता हरण के
कहिनेॅ कि-
राम-रावन-मारीच
तीनों एक धातु के छेलै
तबेॅ नी-
विकर्षन मेॅ
दूर फेकाय गेलोॅ छै
मारीच
फेरू स्वर्ण मृगा बनी केॅ
यहेॅ अैलोॅ छै
पंचवटी मेॅ।