गिरे तो
गिरते गए
गिरते-गिरते
आचार से
विचार से गिरते गए
न हुए अपने
न और के,
वनमानुष हुए कुठौर के।
रचनाकाल: ०९-०२-१९८०
गिरे तो
गिरते गए
गिरते-गिरते
आचार से
विचार से गिरते गए
न हुए अपने
न और के,
वनमानुष हुए कुठौर के।
रचनाकाल: ०९-०२-१९८०