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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 26 से 35/पृष्ठ 10

(35)
रागगौरी
नीके कै मैं न बिलोकन पाए |
सखि यहि मग जुग पथिक मनोहर, बधु बिधु-बदनि समेत सिधाए ||

नयन सरोजस किसोर बयस बर, सीस जटा रचि मुकुट बनाए |
कटि मुनिबसन-तून, धनु-सर कर, स्यामल-गौर, सुभाय सोहाए ||

सुन्दर बदन बिसाल बाहु-उर, तनु-छबि कोटि मनोज लजाए |
चितवत मोहि लगी चौन्धी-सी, जानौं न, कौन, कहाँ तें धौं आए ||

मनु गयो सङ्ग, सोचबस लोचन मोचत बारि, कितौ समुझाए |
तुलसिदास लालसा दरसकी सोइ पुरवै, जेहि आनि देखाए ||