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रागकेदारा
आली काहू तौ बूझौ न, पथिक कहाँ धौं सिधैहैं |
कहाँतें आए हैं, को हैं, कहा नाम स्याम-गोरे,
काज कै कुसल फिरि एहि मग ऐहैं ||
उठति बयस, मसि भीञ्जति, सलोने सुठि,
सोभा-देखवैया बिनु बित्त ही बिकैहैं |
हिये हेरि हरि लेत लोनी ललना समेत,
लोयननि लाहु देत जहाँ जहाँ जैहैं ||
राम-लषन-सिय-पन्थिकी कथा पृथुल,
प्रेम बिथकीं कहति सुमुखि सबै हैं |
तुलसी तिन्ह सरिस तेऊ भूरिभाग जेऊ
सुनि कै सुचित तेहि समै समैहैं ||