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काहूसों काहू समाचार ऐसे पाए |
चित्रकूटतें राम-लषन-सिय सुनियत अनत सिधाए ||
सैल, सरित, निरझर, बन, मुनि-थल देखि-देखि सब आए |
कहत सुनत सुमिरत सुखदायक, मानस-सुगम सुहाए ||
बड़ि अवलम्ब बाम-बिधि-बिघटित बिषम बिषाद बढ़ाए |
सिरिस-सुमन-सुकुमार मनोहर बालक बिन्ध्य चढ़ाए ||
अवध सकल नर-नारि बिकल अति, अँकनि बचन अनभाए |
तुलसी राम-बियोग-सोग-बस, समुझत नहिं समुझाए ||