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दोना रुचिर रचे पूरन कन्द-मूल, फल-फूल |
अनुपम अमियहुतें अंबक अवलोकत अनुकूल ||
अनुकूल अंबक अंब ज्यों निज डिम्ब हित सब आनिकै |
सुन्दर सनेहसुधा सहस जनु सरस राखे सानिकै ||
छन भवन, छन बाहर, बिलोकति पन्थ भूपर पानिकै |
दोउ भाइ आये सबरिकाके प्रेम-पन पहिचानिकै ||