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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/पृष्ठ 11

(19)
(वर्षा-वर्णन 3)

गृह-गृह रचे हिडोलना, महि गच काँच सुढार |
चित्र बिचित्र चहू दिसि परदा फकि-पगार ||

सरल बिसाल बिराजहीं बिद्रुम-खम्भ सुजोर |
चारु पाटि पटि पुरटकी झरकत मरकत भौंर ||

मरकत भवँर डाँड़ी कनक मनि-जटित दुति जगमगि रही |
पटुली मनहु बिधि निपुनता निज प्रगट करि राखी सही ||

बहुरङ्ग लसत बितान मुकुतादाम-सहित मनोहरा |
नव-सुमन-माल-सुगन्ध लोभे मञ्जु गुञ्जत मधुकरा ||