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जबतें लै मुनि सङ्ग सिधाए |
राम लखनके समाचार, सखि तबतें कछुअ न पाए ||
बिनु पानही गमन, फल भोजन, भूमि सयन तरुछाहीं |
सर-सरिता जलपान, सिसुनके सँग सुसेवक नाहीं ||
कौसिक परम कृपालु परमहित, समरथ, सुखद, सुचाली |
बालक सुठि सुकुमार सकोची, समुझि सोच मोहि आली ||
बचन सप्रेम सुमित्राके सुनि सब सनेह-बस रानी |
तुलसी आइ भरत तेहि औसर कही सुमङ्गल बानी ||