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गीतावली पद 101 से 110 तक/पृष्ठ 7

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जैसे ललित लषन लाल लोने |
तैसिये ललित उरमिला, परसपर लषत सुलोचन कोने ||

सुखमासार सिगाँरसार करि कनक रचे हैं तिहि सोने |
रुपप्रेम-परमिति न परत कहि, बिथकि रही मति मौने ||

सोभा सील-सनेह सोहावनो, समौ केलिगृह गौने |
देखि तियनिके नयन सफल भये, तुलसीदासहूके होने ||