(71)
पुष्पवाटिकामें
राग टोड़ी
भोर फूल बीनबेको गये फुलवाई हैं |
सीसनि टिपारे, उपबीत, पीत पट कटि,
दोना बाम करनि सलोने भे सवाई हैं ||
रुपके अगार, भूपके कुमार, सुकुमार,
गुरके प्रानाधार सङ्ग सेवकाई हैं |
नीच ज्यों टहल करैं, राखैं रुख अनुसरैं,
कौसिक-से कोही बस किये दुहुँ भाई हैं ||
सखिनसहित तेहि औसर बिधिके सँजोग
गिरिजाजू पूजिबेको जानकीजू आई हैं |
निरखि लषन-राम जाने ऋतुपति-काम,
मोहि मानो मदन मोहनी मूड़ नाई हैं ||
राघौजू-श्रीजानकी-लोचन मिलिबेको मोद
कहिबेको जोगु न, मैं बातैं-सी बनाई हैं |
स्वामी, सीय, सखिन्ह, लषन तुलसीको तैसो
तैसो मन भयो जाकी जैसिये सगाई हैं ||