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लाज तोरि, साजि साज राजा राढ़ रोषे हैं |
कहा भौ चढ़ाए चाप, ब्याह ह्वै है बड़े खाए,
बोलैं, खोलैं सेल, असि चमकत चोखे हैं ||
जानि पुरजन त्रसे, धीर दै लषन हँसे,
बल इनको पिनाक नीके नापे-जोखे हैं |
कुलहि लजावैं बाल, बालिस बजावैं गाल,
कैधौं कूर कालबस, तमकि त्रिदोषे हैं ||
कुँवर चढ़ाई भौंहैं, अब को बिलोकै सोहैं,
जहँ तहँ भे अचेत, खेतके-से धोखे हैं |
देखे नर-नारि कहैं, साग खाइ जाए माइ,
बाहु पीन पाँवरनि पीना खाइ पोखे हैं ||
प्रमुदित-मन लोक-कोक-नद कोकगन,
रामके प्रताप-रबि सोच-सर सोखे हैं |
तबके देखैया तोषे, तबके लोगनि भले,
अबके सुनैया साधु तुलसिहु तोषे हैं ||