कवि ने गीत लिखा
फूल पर
ख़ुश हुआ बहुत
आप ही,
अपनी ही कृति पर।
पहुँचा वह गीत सुनाने
बाग़ में फूल को,
बताने उसे,
उसे कितना सुन्दर
बताया है गीत में।
गीत-गाथा में मग्न
घर वापिस आ गया-
और पौधा मुरझा गया।
उसे गीत नहीं सुनना था
वह प्यासा था।