जितनी बार लड़ेंगे दुख से
हम उतने ही वीर बनेंगे
राहों में चाहे शूल मिलें
मन के कोमल फूल जलें
जितनी बाधाएँ होंगी पथ में
हम उतने ही धीर बनेंगे, जितनी बार...
दुख के बादल तो छाएँगे
जल विपदा का बरसाएँगे
एक दिन दुख ओ` पीड़ा
अपनी ही तकदीर बनेंगे, जितनी बार...
1987