Last modified on 25 अगस्त 2017, at 14:31

गीत / लैंग्स्टन ह्यूज़ / मणिमोहन मेहता

मैं वहाँ बैठा रहा
अँधेरे में
उसके गीत गुनगुनाते हुए।

उसने कहा —
’मुझे समझ नहीं आते
शब्द‘।

मैंने कहा —
“यहाँ
शब्द कहाँ हैं”।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन