पिया निर्मोही खनकि गेल कंगना,
विपुल मृगी नयना
किएक अहाँ बनलौ औ-
प्रवासी सजना
आगि भेल शीतल उधिया रहल पानि
सुवासित जीवन मे उफनि गेल ग्लानि
सुन्न प्रेयसीक सिनेह हृदय अंगना
विपुल मृगी नयना
उमड़ि रहल विरह प्रखर आतप समान
मुरूझायल शुष्क अधर मरूघट मे प्राण
धॅसल बान्ह मर्यादाक सजना,
विपुल मृगी नयना
क्षणहि मे जीवन अभिशापित वनल
सूखि गेल नेह पुष्प नोर सँ भरल
आव कहि ने सकव हम सजना
विपुल मृगी नयना