Last modified on 20 फ़रवरी 2017, at 13:11

गीत / श्रीप्रसाद

सुबह सात के काफी पहले
रोज जगाती गोरैया
ठुक-ठुक करती दरवाजे पर
जागो, जागो ओ भैया

जैसे ही खुलती हैं आँखें
सूरज हँसता दिखता है
कोमल किरणों से धरती पर
दिन की बातें लिखता है

उधर सामने कुदफुद करती
यह चिड़िया पैया-पैया
सुबह सात के काफी पहले
रोज जगाती गौरैया

आती है कमरे में फिर वह
आती मेरे बिस्तर पर
जैसे मुझसे कहती हो वह
कल उठना जल्दी सोकर

नरम-नरम-सी पाँखें छूकर
देता खाने को लैया
सुबह सात के काफी पहले
रोज जगाती गौरैया

मेरी बड़ी बहन जैसी है
देखभाल करती है जो
तभी पास मेरे आती है
और नहीं डरती है जो

लेकिन माँ डरकर कहती हैं
अरे भगाओ, ओ दैया
सुबह सात के काफी पहले
रोज जगाती गौरैया

माँ के आते ही उड़ती है
नन्ही चिड़िया प्यारी से
माँ क्यों उसे उड़ाएँ घर से
रखती है हुशियारी ये

आई जाने कौन जगह से
मैं रहता हूँ औरैया
सुबह सात के काफी पहले
रोज जगाती गौरैया।