भुक्खल गिदरा खाँव खाँव खाँव
सोचेॅ लगलै किन्हें जाँव
कहीं नै एक्को मिलल शिकार
मन में ऐलै एक विचार
कहीं सें चन्नन टीका आनलक
पोथी पतरा पढ़ी केॅ जानलक
सोचकै अगर कमाना छै
सब केॅ मुरूख बनाना छै
सब चाहै जानौं तकदीर
धन लेली कुछ मारौं तीर
बस होकरा कुछ बात बतैलक
दांव-पेंच थोड़ा समझैलक
मुफत में पैसा झाड़ी लेलकै
धन-दौलत आरू गाड़ी लेलकै
अब नेता रं भेलै सियार
होय गेलै बड्डी होशियार
वें दरबार लगाबेॅ लगलै
धन लछमी बरसाबेॅ लगलै