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गीला भीगा पुआल / प्रभात

कौन आ रहा है हरे गेहूँओं के कपड़े पहन कर
कौन ला रहा है सरसों के फूलों के झरने
किसने खोला दरवाज़ा बर्फ़ानी हवाओं का
कैसे चू आए एकाएक रात की आँख से ख़ुशी के आँसू
ओह ! शिशिर
तो तुम आ गए
आओ-आओ यहाँ बैठो
त्वचा के बिल्कुल क़रीब
यहाँ आँगन में लगाओ बिस्तरा
गीला भीगा पुआल