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गुजरात (3) / मदन गोपाल लढ़ा


दूरी में छुपा है
निकटता का अहसास।

मरूभौम से
जीविका के लिए
गुजरात जाकर
जाना मैंने पहली बार
यादों में
कितनी सुहाती है लू
हेत से सराबोर रेत
अपनत्व भरे चेहरे
दिसावर में
ख्वाबों में बसते हैं
गाव-गुवाड़
बौने लगते हैं
सारे अभाव।

लौटकर वापस
अपने घर
फि र से महसूस कर रहा हूँ
वही अहसास
गुजरात के लिए।