दूकान बढाने के लिए मजबूर एक मालिक
शासन को, नियम को,
उनके रक्षकों
और
अपने मातहतों को
भरपूर गालियाँ दे चुकने के बाद
अब
रोशनियाँ बुझाते
और
ताले बंद करते हुए
देखो । देखो ।
कैसे कोस रहा है उसी दूकान को ।
दूकान बढाने के लिए मजबूर एक मालिक
शासन को, नियम को,
उनके रक्षकों
और
अपने मातहतों को
भरपूर गालियाँ दे चुकने के बाद
अब
रोशनियाँ बुझाते
और
ताले बंद करते हुए
देखो । देखो ।
कैसे कोस रहा है उसी दूकान को ।