तुम आई हो
किसी अन्य लोक से
बन कर सुंदर-सी गुडिय़ा
जब भी देखता हूं-
पाता हूं तुम्हें
मासूम-सी!
अब बचपन जा चुका
कहां छुपा सकता हूं तुम्हें -
सिवाय मन के!
तुम आई हो
किसी अन्य लोक से
बन कर सुंदर-सी गुडिय़ा
जब भी देखता हूं-
पाता हूं तुम्हें
मासूम-सी!
अब बचपन जा चुका
कहां छुपा सकता हूं तुम्हें -
सिवाय मन के!