गूंगा रहोगे
गुड़ मिलेगा
रुत हँसेगी
दिल खिलेगा
पैसे झरेंगे
पेड़ हिलेगा
सिर गायब,
टोपा सिलेगा
गूंगा रहोगे
गुड़ मिलेगा
(1988 में रचित)
गूंगा रहोगे
गुड़ मिलेगा
रुत हँसेगी
दिल खिलेगा
पैसे झरेंगे
पेड़ हिलेगा
सिर गायब,
टोपा सिलेगा
गूंगा रहोगे
गुड़ मिलेगा
(1988 में रचित)