तुम्हारी हँसी की अलगनी पर मेरी नींद सूख रही है ।
तुम उसे दिन ढले ले आओगी कमरे में, तहा कर रखोगी सपने में ।
मैं उसे पहन कर कल काम पर जाऊँगा और मुझे दिन भर होगी गुदगुदी ।
तुम्हारी हँसी की अलगनी पर मेरी नींद सूख रही है ।
तुम उसे दिन ढले ले आओगी कमरे में, तहा कर रखोगी सपने में ।
मैं उसे पहन कर कल काम पर जाऊँगा और मुझे दिन भर होगी गुदगुदी ।