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गुनों की पहुँच के / माखनलाल चतुर्वेदी

गुनों की पहुँच के
परे के कुओं में,
मैं डूबा हुआ हूँ
जुड़ी बाजुओं में,

जरा तैरता हूँ, तो
डूबों हुओं में,
अरे डूबने दे
मुझे आँसुओं में!

रे नक्काश, कर लेने
दे अपने जी की,
मिटाऊँ, ला तस्वीर
मैं आइने की!