पिता के पाप
गर्भ में ही संतानों की आँखों में होते हैं.
क्यूँकि ईश्वर सहूलियत चाहता है.
संताने ठीक जन्म के समय
अपना पितृक़र्ज़ चुका देती हैं.
इसलिए युगों के अंतराल में
पिताओं के पाप
बिना किसी आज्ञा के समाप्त करती हैं संताने.
पिता के पाप
गर्भ में ही संतानों की आँखों में होते हैं.
क्यूँकि ईश्वर सहूलियत चाहता है.
संताने ठीक जन्म के समय
अपना पितृक़र्ज़ चुका देती हैं.
इसलिए युगों के अंतराल में
पिताओं के पाप
बिना किसी आज्ञा के समाप्त करती हैं संताने.