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गुलमोहर / सुरेश विमल

1.
मेहंदी रची हथेलियों से
बुलाता है गुलमोहर...
थके हुए मुसाफ़िर को
थपकियाँ दे दे
अपनी छांव में
सुलाता है गुलमोहर...

2.
फूलों का लगा है मेला
गुलमोहर के गाँव में...
टहनियों पर
चहचहाते हैं पक्षी
और बच्चे
खिलखिलाते हैं छांव में...

3.
बस्ती के सन्नाटों में
जादूगर सा
मुस्कुराता है गुलमोहर
लौटे हुए वसन्त को
एक बार फिर
अपने देह-देश में
ससम्मान बुलाता है
गुलमोहर...

4.
गांव भर की पगडंडियों की
ढांपे हैं धूल
एक अकेला गुलमोहर...
रामायण के पृष्ठों में
सजाये है...
चढ़ाये है देवता पर
पंखुड़ियाँ पुजारी
अंजुरियाँ भर-भर कर...

5.
गुलमोहर के नाम पर
रचा है प्रकृति ने
अनूठा एक
लालित्यपूर्ण गीत...
अक्षर-अक्षर
रेखांकित करता है जिसका
जीवन के महाभारत में
मुस्कानों की...जीत।