गुलशन में लेके चल किसी सहरा में ले के चल
ऐ दिल मगर सुकून की दुनिया में ले चल
कोई तो होगा जिसको मेरा इंतज़ार है
कहना है दिल के शहर-ए-तमन्ना में ले के चल
ये प्यास बुझ न पाई तो मैं डूब जाउँगा
साहिल से दूर तो मुझे दरया में ले के घल
पहचानता नहीं है मेरा नाम 'कैस' है
ऐ खिज़्र-ए-राह कूचा-ए-लैला में ले के चल